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Sunday, November 24, 2024
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हवन के साथ हुआ हरियाणा सांस्कृतिक दर्शन पंडाल की शुरूआत

कुरुक्षेत्र ( बातों बातों में / हरियाणा डेस्क ) अंतर्राष्ट्रीय गीता जयंती के अवसर पर विरासत हेरिटेज विलेज जी.टी. रोड मसाना में नैशनल इंस्टीट्यूट ऑफ डिजाईन कुरुक्षेत्र, एच.एस.आर.एल.एम. हरियाणा तथा एसोसिएशन ऑफ हरियाणवी इन ऑस्ट्रेलिया ए.एच.ए. के संयुक्त तत्वावधान में हरियाणा सांस्कृतिक प्रदर्शनी एवं हरियाणा हस्तशिल्प हुनर कार्यशाला का आयोजन 5 से 15 दिसंबर तक किया जा रहा है। विधिवत् रूप से भारतीय परम्पराओं का निर्वहन करते हुए हवन यज्ञ के साथ हरियाणा के सांस्कृतिक पंडाल की शुरूआत हुई। इस अवसर पर मुख्यातिथि के रूप में सी.ई.ओ. केडीबी एवं लाडवा के एसडीएम अनुभव मेहता, कुरुक्षेत्र के एसडीएम नरेन्द्र पाल, नगर परिषद की अध्यक्षा उमा सुधा, कुरुक्षेत्र विकास बोर्ड के मानद् सचिव मदन मोहन छाबडा सहित अनेक गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे। उल्लेखनीय है कि विरासत की हरियाणा सांस्कृतिक प्रदर्शनी में हरियाणा की रथ बनाने की परम्परा प्रदर्शनी, बैलगाडिय़ों के लकड़ी के पहिये बनाने की परम्परा प्रदर्शनी, कूएं से पानी निकलाने के लिए प्रयोग में लाए जाने वाले डोल तथा उसका इतिहास प्रदर्शनी, लोकजीवन में तालों की परम्परा तथा उसका इतिहास प्रदर्शनी, हरियाणा में हलों की विविधता एवं उसके प्रकार व इतिहास प्रदर्शनी, खेती-बाड़ी के औजारों की विविधता एवं उनकी वैज्ञानिकता प्रदर्शनी, भारत की पगड़ी परम्परा का इतिहास तथा हरियाणवी पगड़ी का महत्व प्रदर्शनी, हरियाणवी फुलझड़ी प्रदर्शनी, भारत के प्राचीन हुक्कों की प्रदर्शनी, भारत के प्राचीन सिक्कों की प्रदर्शनी, ऊँट तथा बैलों से जुड़ी हुई विषय-वस्तुओं की प्रदर्शनी, हरियाणा के लोक परिधानों की प्रदर्शनी, हरियाणा में टोकरा बनाने की कला की प्रदर्शनी, लुगदी के बने हुए बोहियों एवं साजो सामन की प्रदर्शनी, हरियाणवी रसोई में लोक पारम्परिक बर्तनों की प्रदर्शनी, हरियाणा के चरखों का इतिहास एवं प्रदर्शनी, हरियाणा के परिवहन के साधनों का इतिहास एवं प्रदर्शनी, कुम्हार कला की प्रदर्शनी, भारत की बाट परम्परा एवं इतिहास प्रदर्शनी के साथ-साथ हरियाणवी संस्कृति के देसी ठाठ देखने को मिले। मौके पर गन्ना चूसने की प्रतियोगिता आयोजित की गई। गन्ना चूसने की प्रतियोगिता में पहला स्थान राजेंद्र ने हासिल किया उसको 1100 का पुरस्कार विरासत की ओर से सम्मान स्वरूप दिया गया। इस प्रतियोगिता में 80 साल के बुजुर्ग ने भी भाग लिया। इसके अतिरिक्त प्रतियोगिता में 20 से अधिक प्रतिभागियों ने गन्ना चूसने में अपनी दक्षता दिखाई। यहां पर हरियाणा के भांति-भांति तरह के भोजन खांड का चूरमा, गुड का चूरमा, शक्कर का चूरमा, बाजरे का चूरमा, बाजरे की रोटी और हर्या साग आदि के माध्यम से हरियाणवी खान-पान की व्यवस्था की गई है।

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