करनाल ( बातों बातों में / हरियाणा डेस्क ) दूध में मिलावट के प्रति जागरूकता अभियान चलाकर राष्ट्रीय डेरी अनुसन्धान संसथान ने मनाया राष्ट्रीय दुग्ध दिवस, 26 नवंबर, 2021 को राष्ट्रीय दुग्ध दिवस के अवसर पर राष्ट्रीय डेरी अनुसन्धान संसथान ने दूध में मिलावट के बारे में जनता को जागरूक करने के लिए एक अभियान शुरू किया। इस दिन पर राष्ट्रीय
डेरी अनुसन्धान संसथान (एनडीआरआई) ने अपने मुख्य द्वार पर एक परीक्षण शिविर का आयोजन किया, जिसमें आम जनता को अपने दूध के नमूनों का निःशुल्क परीक्षण करने के लिए आमंत्रित किया गया था। डॉ. एम.एस. चौहान, निदेशक, भाकृअनुप-राष्ट्रीय डेयरी अनुसंधान संस्थान (एनडीआरआई), करनाल ने अभियान की शुरुआत की। इस अवसर पर बोलते हुए, डॉ. चौहान ने कहा कि भारत हर साल 26 नवंबर को डॉ वर्गीस कुरियन की जयंती के अवसर पर राष्ट्रीय दुग्ध दिवस मनाता है, जिन्हें "श्वेत क्रांति के जनक" के रूप में भी जाना जाता है। इस वर्ष, राष्ट्रीय दुग्ध दिवस मनाने के लिए, राष्ट्रीय डेरी अनुसन्धान संसथान (एनडीआरआई) ने दूध में मिलावट के बारे में जनता को जागरूक करने का निर्णय लिया है। उन्होंने कहा कि हालांकि भारत दुनिया का सबसे बड़ा दूध उत्पादक है, लेकिन दूध में मिलावट की कभी-कभार होने वाली खबरों के कारण दूध की गुणवत्ता हमेशा चर्चा में रहती है। उन्होंने कहा कि पिछले 5-6 वर्षों में, राष्ट्रीय डेरी अनुसन्धान संसथान (एनडीआरआई) ने दूध में मिलावट की जाँच करने के लिए शीघ्रता और सुविधाजनक तरीके विकसित किए हैं। इनमें न्यूट्रलाइजर्स, यूरिया, ग्लूकोज, माल्टोडेक्सट्रिन, सुक्रोज, हाइड्रोजन पेरोक्साइड, फॉर्मलाडिहाइड आदि का पता लगाने के लिए पेपर स्ट्रिप आधारित परीक्षण शामिल हैं। इसके अलावा दूध में डिटर्जेंट की उपस्थिति का पता लगाने के लिए एक संवेदनशील विधि भी विकसित की गई है।
उन्होंने आगे इस बात पर जोर दिया कि स्ट्रिप आधारित परीक्षणों की तकनीक को कई डेयरी सहकारी समितियों, डेयरी उद्योगों के साथ-साथ उद्यमियों को भी हस्तांरित किया गया है और अब ये उत्पाद बाजार में भी उपलब्ध है। उन्होंने जानकारी देते हुए कहा की, भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के संस्थान जिसका नाम राष्ट्रीय कृषि अर्थशास्त्र और नीति अनुसंधान संस्थान, नई दिल्ली है, के हालिया में किये हुए अध्यन में जिसका शीर्षक भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के शोध का आर्थिक प्रभाव में इस बात पर प्रकाश डाला गया है कि भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) – राष्ट्रीय डेरी अनुसन्धान संसथान (एनडीआरआई) द्वारा विकसित मिलावट आधारित प्रौद्योगिकियों से डेयरी
उद्योग तथा उपभोगताओं को 2018-19 में रु 174.44 करोड़ का वार्षिक लाभ हुआ है । अध्ययन में यह भी संकेत दिया है कि उपभोक्ता गुणवत्ता का परीक्षण किए गए दूध के लिए अधिक कीमत (15%) देने को तैयार हैं। इस अवसर पर संयुक्त निदेशक (अनुसंधान) डॉ. धीर सिंह ने कहा कि यह विशेष शिविर एक स्टार्ट-कप कंपनी डेलमॉस रिसर्च प्राइवेट लिमिटेड के सहयोग से आयोजित किया गया है। राष्ट्रीय डेरी अनुसन्धान संसथान (एनडीआरआई) ने वर्ष 2017-18 में दूध में मिलावट का पता लगाने की तकनीक को इस कंपनी को हस्तांतरित किया था और अब यह कंपनी पूरे भारत में सक्रिय है। डेलमोस रिसर्च प्राइवेट लिमिटेड के सीईओ बब्बर सिंह ने इस अवसर पर संकेत दिया कि वर्तमान में वे केवल संगठित डेयरी उद्योगों को दूध मिलावट किट की आपूर्ति कर रहे हैं, लेकिन निकट भविष्य में उनकी घरेलू उपभोक्ताओं के लिए इन किटों को लॉन्च करने की योजना है। इन परीक्षणों का उपयोग करना बहुत आसान है और लागत प्रभावी है।