हरिद्वार ( बातों बातों में /जितेन्द्र कोरी ) भारत वर्ष के अन्दर मजदूरो के द्वारा इंटक का स्थापना दिवस समारोह मनाया जा रहा है , आज के दिन एटक यूनियन अपने संघर्षो के 101 वर्ष पूर्ण कर चुकी है। आज ही के दिन आँल इंडिया ट्रेड यूनियन कांग्रेस (AITUC), भारत की प्रथम केंद्रीय ट्रेड यूनियन की स्थापना 31 अक्टूबर 1920 को शेरे पंजाब लाला लाजपत राय की अध्यक्षता मे हुई थी। इसी कडी मे भेल हरिद्वार मे भी एटक(हीप व सीएफएफपी) द्वारा लुम्बा-नागर भवन सेक्टर-5 मे शताब्दी दिवस समारोह मनाया गया। भेल, हरिद्वार की दोनो यूनिटो (हीप एवं सीएफएफपी) की एटक यूनियन ने यूनियन कार्यालय लुम्बा-नागर भवन, सेक्टर-5 पर ध्वजारोहन के साथ कार्यक्रम की शुरुआत की गयी। इस दौरान एटक, हीप के महामंत्री सन्दीप चौधरी ने कहा कि एटक यूनियन के पास मजदूरो वर्ग के त्याग, संघर्ष एवं बलिदानो का एक स्वर्णिम इतिहास है। आज देश के अन्दर ट्रेड यूनियन आन्दोलन को 101 वर्ष पूर्ण हो गये है। एटक एक मात्र ऐसी ट्रेड यूनियन जिसने मजदूरो की लडाई के साथ स्वतंत्रता आन्दोलन मे भी बढ-चढकर भाग लिया था।
ट्रेड यूनियन एक्ट 1926 एवं वर्कर्स कम्पन्शेसन एक्ट 1923 एटक की बडी उपल्बधी है। हम सभी आज संकल्प लेते है कि भेल के श्रमिको की समस्याओ के निदान हेतु ट्रेड यूनियन आन्दोलन को ओर अधिक मजबूत करेंगे।एटक, (सीएफएफपी) के अध्यक्ष का. ए.के.दास ने कहा कि भारत के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू,नेताजी सुभाषचंद्र बोस, सी.एफ एन्ड्रयूज, जे.एम. सेनगुप्ता, सत्यमूर्ति, कामरेड वी.वी. गिरी जी एवं सरोजिनी नायडू जैसे राष्ट्रवादी नेताओं ने एटक का प्रतिनिधित्व किया।एटक के नक्शे कदम पर चल कर आज देश में 13 सेन्ट्रल ट्रेड यूनियन और लगभग 65 हजार रजिस्टर्ड ट्रेड यूनियन काम कर रही हैं । इसीलिए एटक को ट्रेड यूनियन का जन्मदाता भी कहा जाता है।
एटक, हीप के अध्यक्ष मनमोहन कुमार ने कहा कि एटक की स्थापना के बाद से ही एटक यूनियन का उद्देश्य रहा है कि मजदूर वर्ग की आर्थिक और सामाजिक स्थितियों में सुधार करना है एवं अपने रोजगार से संबंधित सभी मामलों में श्रमिकों के हितों, अधिकारों और विशेषाधिकारों को देखना,बढ़ावा देना,उनकी सुरक्षा करना और उन्हें आगे बढ़ाना है। भेल के अन्दर श्रमिको की प्रबन्धन मे भागीदारी के तहत जेसीएम का गठन कराने मे भी एटक की महत्वपूर्ण भूमिका रही है।एटक, उत्तराखण्ड के प्रदेश अध्यक्ष एम. एस. त्यागी ने कहा कि एटक यूनियन की स्थापना ऐसे समय पर हुई जब देश अंग्रेजी हुकूमत का गुलाम था, चारो ओर उत्पीडन, शोषण व्याप्त था। एटक ने गठन के बाद से ही लगातार मजदूरो की समस्या, माँगो के लिये तथा साथ ही साथ अंग्रेजी सरकार से भारत वर्ष की आजादी के लिये लगातार संघर्ष किया है। आज के दौर मे आज के दौर मे पूँजिपतियो एवं सरकारो के गठजोड द्वारा फिर से मजदूरो को 101 वर्ष पुराने इतिहास की ओर धकेले जाने का प्रयास किया जा रहा है, जिससे सार्वजनिक क्षेत्र का मजदूर भी अछुता नही है। यदि हम भेल सहित किसी भी सार्वजनिक क्षेत्र की बात करे तो हालात समान ही दिखायी पडती है चाहे कोई मुनाफे मे हो चाहे घाटे मे हो, सभी के ऊपर विनिवेशीकरण/निजीकरण का खतरा मडरा रहा है। मजदूरो को प्राप्त हो रहे अधिकारो, सुविधाओ, वित्तीय सुविधाओ मे निरंतर कटौती जारी है, आगे गहन संघर्ष के दिन है, इन संघर्षों के लिए ट्रेड यूनियनों को एकजुट किया जाना महत्वपूर्ण है।
इस दौरान एटक,सीएफएफपी के का अध्यक्ष नईम खान, आई. डी. पन्त, जिलाध्यक्ष मुनरिका यादव, , रविप्रताप राय, अमृत रंजन, विक्रांत त्यागी, दीपक कुमार, गजेन्द्र कुमार, परमाल सिंह, घनश्याम यादव, विकास चौधरी, पवन कुमार, सतीश चौहान, शास्त्रि कुमार माँझी, संकल्प त्यागी, जितेन्द्र पटेल, सतेन्द्र कटारिया, अजित सिंह, चिरंजीव , गोपाल शर्मा, जितेन्द्र प्रसाद, प्रदुमन त्यागी, राजीव शर्मा, भूपेन्द्र कुमार, रोहित सिंह, चंद्रप्रकाश सिंह, सुरेश कुमार, दिनेश कुमार आदि उपस्थित रहे।