कुरुक्षेत्र ( बातों बातों में/ हरियाणा डेस्क ) सरकार द्वारा बार-बार तारीख बदलने के बाद रविवार से धान की खरीद शुरू करने का ऐलान भी जुमला साबित हुआ है। यह कहना है पूर्व मुख्यमंत्री और नेता प्रतिपक्ष भूपेंद्र सिंह हुड्डा का। हुड्डा जमीनी हकीकत जानने के लिए खुद कई अनाज मंडियों का दौरा करने पहुंचे थे। उन्होंने लाडवा, पीपली और थानेसर की अनाज मंडियों में पहुंचकर किसानों, आढ़तियों और मजदूरों से बात की। सभी ने उन्हें बताया कि मंडी में आज भी धान की खरीद शुरू नहीं हुई।
मंडियों में हालात का जायजा लेने के बाद हुड्डा ने पत्रकार वार्ता को संबोधित करते हुए बताया कि मंडियां धान से अटी पड़ी हैं। हालात ऐसे हैं कि मंडी में पैर रखने तक की जगह नहीं है। ऊपर से किसानों को लगातार बारिश का डर सता रहा है। सरकारी खरीद में देरी की वजह से किसान प्राइवेट एजेंसियों को एमएसपी से कम पर फसल बेचने को मजबूर है।
हुड्डा ने कांग्रेस कार्यकाल का उदहारण देते हुए कहा कि जब वो खुद मुख्यमंत्री थे तो किसानों को धान खरीद से एक हफ्ते पहले पता होता था कि कौन-सी एजेंसी खरीद करेगी और उसका धान किस सेलर में जाएगा। इतना ही नहीं उस दौरान किसानों को पोर्टल और रजिस्ट्रेशन के नाम पर परेशान नहीं किया जाता था। हाथों-हाथ खरीद और साथ की साथ पेमेंट की जाती थी। लेकिन, आज पोर्टल, रजिस्ट्रेशन और नमी के बहाने बनाकर किसानों को परेशान किया जा रहा है। भविष्य में जैसी ही हमारी सरकार बनेगी पोर्टल और रजिस्ट्रेशन के झंझट को खत्म करके हर किसान के दाने-दाने की खरीद सुनिश्चित की जाएगी।
नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि इस बार बारिश का मौसम लंबा चला है। अभी भी रूक-रूककर बारिश होती रहती है। इसलिए इस बार सरकार को मानक नमी में किसानों को रियायत देनी चाहिए। लेकिन इसके विपरीत मानक नमी की मात्रा को लगातार कम किया जा रहा है। सरकार की नीतियों से स्पष्ट है कि वो किसानों को फसलों का उचित रेट नहीं देना चाहती। धान के साथ उसने बाजरा की खरीद से भी हाथ पीछे खींच लिये हैं। जिस भावांतर योजना के हवाले बाजरा किसानों को किया जा रहा है, वह पहले ही फेल हो चुकी है। इस योजना से सब्जी उत्पादक किसानों को कोई लाभ नहीं मिला। ऐसे में सवाल उठता है कि यह बाजरा के किसानों का कैसे भला करेगी।
हुड्डा ने सरकार को नसीहत दी कि वो अन्नदाता के प्रति अपना रवैया सुधारे और बिना देरी के सरकारी खरीद शुरू करे। विपक्ष पूरी मजबूती से किसानों के साथ खड़ा है। सरकार को धान, बाजरा समेत हर फसल का दाना-दाना खरीदने के लिए मजबूर किया जाएगा।
भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने धान, बाजरा के साथ ही आलू उत्पादक किसानों का मुद्दा भी उठाया। उन्होंने कहा कि आलू की बुवाई में किसानों को खाद की आवश्यकता होती है। लेकिन, यमुनानगर, कुरक्षेत्र समेत तमाम जिलों में सरकार किसानों को खाद उपलब्ध नहीं करवा पा रही है।
हुड्डा ने मंडी मजदूरों के मेहनताने में कटौती को मजदूरों के साथ अन्याय करार दिया। उन्होंने कहा कि इतिहास में शायद पहली बार हुआ है जब किसी सरकार ने मजदूरी बढ़ाने की बजाए घटाने का काम किया है। सरकार को महंगाई के इस दौर में मजदूरी में कटौती की बजाए बढ़ोत्तरी करनी चाहिए।