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Sunday, November 24, 2024
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भाजपा को प्रदर्शन करना है तो प्रधानमंत्री के निवास पर जाकर करे : अशोक अरोड़ा

कुरुक्षेत्र (बातों बातों में /हरियाणा डेस्क ) हरियाणा के पूर्व मंत्री अशोक अरोड़ा ने कांग्रेस भवन में कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए कहा कि शर्म की बात है कि भाजपाई कांग्रेस कार्यालय के सामने प्रदर्शन कर रहे हैं। बडी अजीब बात है कि जो लोग सरकार में हैं, वे कांग्रेस मुख्यालय पर धरना दे रहे हैं। भाजपा नेताओं को चाहिए तो यह था कि जो किसान तीन काले कृषि कानूनों को रद्द करवाने के लिए 10 माह से आंदोलन कर रहे हैं और सड़कों पर बैठकर अपनी जान तक गंवा रहे हैं, उनके समर्थन में नरेंद्र मोदी के निवास पर जाकर प्रदर्शन करते। यदि भाजपा को प्रदर्शन ही करना है तो बढती मंहगाई, बढती रसोई गैस व बढती बेरोजगारी के खिलाफ करें। अशोक अरोड़ा ने कहा कि नरेंद्र मोदी अहंकारी व्यक्ति है, उनके अहंकार की वजह से देश का अन्नदाता किसान आज सड़कों पर पडा है। किसान का एक बेटा जहां सीमा पर देश की रक्षा कर रहा है वहीं दूसरा बेटा खेत में अन्न उगाकर देश का पेट भर रहा है, आज उनकी बात न मानकर प्रधानमंत्री अन्नदाता का अपमान कर रहे हैं। भाजपा के नेता इस प्रयास में हैं कि किस प्रकार से आंदोलन को तोडा जाए। कभी अन्नदाता को खालीस्तानी बताया गया, कभी विदेशी फंडिग का आरोप लगाया गया व अलगावादी बताया गया। अशोक अरोड़ा ने कहा कि किसान की काई जाति नही होती। जो खेत में काम करता है वह किसान है और उसके साथ काम में मदद करता है वह मजदूर है।
पूर्व मंत्री ने कहा कि हैरानी की बात है कि सत्ता में बैठे लोग विपक्ष के कार्यालय पर धरना दे रहे हैं। अरोड़ा ने कहा कि 40 साल से मै राजनीति कर रहा हूँ। सत्ता पक्ष में भी रहा हूँ लेकिन ऐसी स्थिति कभी नही देखी कि सत्ता पक्ष के लोग लोगों की समस्याओं की तरफ से आंखे मूंद लें और विपक्ष के कार्यालयों पर धरना दे रहे हों। यदि इनकी कोई मांग है तो डीसी को ज्ञापन दें और बाजारों में प्रदर्शन करें लेकिन यदि कांग्रेस के कार्यालय पर धरना प्रदर्शन किया जाएगा तो कांग्रेसी कार्यकर्ता इसका विरोध करेंगें।

लोगों का ध्यान भटकाना चाहता है सत्तापक्ष
अशोक अरोड़ा ने कहा कि भारतीय जनता पार्टी का आज सिर्फ एक ही मकसद है कि लोगों का ध्यान किस प्रकार से बांटा जाए। अरोड़ा ने कहा कि किसान आंदोलन विश्व का सबसे लंबा और अंहिसावादी आंदोलन चल रहा है लेकिन भाजपाई इस आंदोलन को तोडऩे का कार्य कर रहे हैं। देश के प्रधानमंत्री का फर्ज बनता है कि किसानों की मांगों को मानकर उन्हे घर भेजने का कार्य करें।

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