15.6 C
Kurukshetra
Sunday, November 24, 2024
No menu items!
spot_img

श्राद्ध पितरों का आशीर्वाद प्राप्त करने का शुभ अवसर है : डॉ. सुरेश मिश्रा

कॉस्मिक एस्ट्रो के डायरेक्टर व श्री दुर्गा देवी मन्दिर पिपली (कुरुक्षेत्र) के अध्यक्ष ज्योतिष और वास्तु विशेषज्ञ डॉ. सुरेश मिश्रा ने बताया कि अपने पितरों को श्रद्धा पूर्वक तर्पण और श्राद्ध देने का पर्व और समय काल “पितृ पक्ष” कहलाता है। श्राद्ध 20  सितंबर से आरंभ होकर 6 अक्तूबर 2021 तक रहेंगे I श्राद्ध को भाद्रपद माह की पूर्णिमा से लेकर आश्विन माह की अमावस्या तक मनाया जाता है I पूर्णिमा का श्राद्ध पहला और अमावस्या का श्राद्ध अंतिम होता है I श्राद्ध संस्कार का वर्णन हिन्दू धर्म के अनेक धार्मिक ग्रंथों में किया गया है I श्राद्ध पक्ष को महालय और पितृ पक्ष के नाम से भी जाना जाता है I जिस हिन्दू माह की तिथि के अनुसार व्यक्ति मृत्यु पाता है उसी तिथि के दिन उसका श्राद्ध मनाया जाता है I जिस व्यक्ति की तिथि याद ना रहे तब उसके लिए अमावस्या के दिन उसका श्राद्ध करने का विधान होता है I


श्राद्ध का महत्व : 

हिन्दू धर्म अनुसार आश्विन कृष्ण पक्ष में पितर पृथ्वी लोक पर आते हैं और अपने हिस्से का भाग अवश्य किसी ना किसी रूप में ग्रहण करते है I सभी पितर इस समय अपने वंशजों के द्वार पर आकर अपने हिस्से का भोजन सूक्ष्म रूप में ग्रहण करते है I भोजन में जो भी खिलाया जाता है वह पितरों तक पहुंच ही जाता है I अपने स्वर्गवासी पूर्वजों की शान्ति एवं मोक्ष के लिए किया जाने वाला दान एवं कर्म ही श्राद्ध कहलाता है। जिसने हमें जीवन दिया, उसके लिए I जिसने हमें जीवन देने वाले को जीवन दिया, उसके लिए तथा जो हमारे कुल एवं वंश का है। इस प्रकार तीन पीढ़ियों तक के लिए किया जाने वाला यज्ञ , पिंडदान तथा तर्पण  ही श्राद्धकर्म कहलाता है।
महर्षि पराशर के अनुसार- देश, काल तथा पात्र में विधि द्वारा जो कर्म तिल, जौ, कुशा और मंत्रों द्वारा श्रद्धा पूर्वक किया जाये वही श्राद्ध कहलाता है।


कैसे  करें पिंडदान ?  

धार्मिक मान्यता अनुसार आश्विन मास के कृष्ण पक्ष में पितरों  के नाम पर तर्पण व पिंडदान देने से पितरों को शांति मिलती है और वह जातक को सुखी रहने का आशीर्वाद देते है। इस दिन सुपात्र  ब्राह्मण व पंडितों को श्रद्धा पूर्वक भोजन ,मिष्ठान्न वस्त्रादि का दान दक्षिणा सहित देना चाहिए और विशेषकर गाय, कुत्ते या कौवे,चीटियों और अग्नि  आदि को भोजन कराना चाहिए।  

श्राद्ध की तिथियाँ :  
दिनांक दिन   श्राद्ध 20 सितंबर   सोमवार       पूर्णिमा  का श्राद्ध 21 सितंबर  मंगलवार प्रतिपदा का श्राद्ध22 सितंबर   बुधवार द्वितीया का श्राद्ध 23 सितंबर   बृहस्पतिवार   तृतीया का श्राद्ध 24 सितंबर   शुक्रवार         चतुर्थी का श्राद्ध 25 सितंबर शनिवार पंचमी का श्राद्ध 26 सितंबर   रविवार          चन्द्र षष्ठी व्रत  27 सितंबर   सोमवार षष्ठी का श्राद्ध 28 सितंबर   मंगलवार सप्तमी का श्राद्ध 29 सितंबर   बुधवार   अष्टमी का श्राद्ध 30 सितंबर   बृहस्पतिवार नवमी / सौभाग्यवतियों का श्राद्ध 1  अक्तूबर   शुक्रवार दशमी का श्राद्ध 2 अक्तूबर    शनिवार   एकादशी का श्राद्ध3 अक्तूबर     रविवार     द्वादशी / संन्यासियों का श्राद्ध4 अक्तूबर   सोमवार     त्रयोदशी श्राद्ध 5 अक्तूबर    मंगलवार चतुर्दशी का श्राद्ध – चतुर्दशी तिथि के दिन शस्त्र, विष, दुर्घटना से मृतक का श्राद्ध होता है चाहे उनकी मृत्यु किसी अन्य तिथि में हुई हो I  6 अक्तूबर     बुधवार   अमावस का श्राद्ध, अज्ञात तिथि वालों का श्राद्ध, सर्वपितृ श्राद्ध I 
श्रेष्ठ सुयोग्य संतान वही है जो जीवित माता -पिता और बुजुर्गों की सेवा निस्वार्थ भाव से अपना कर्तव्य व दायित्व समझकर श्रद्धा पूर्वक करती है और मरणोपरांत उनके लिए श्राद्ध करते है I श्राद्ध वाले दिन पितृ स्तोत्र, पितृसूक्त  का पाठ करना चाहिए I 

Related Articles

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Stay Connected

0FansLike
3,912FollowersFollow
22,100SubscribersSubscribe
- Advertisement -spot_img

Latest Articles