हिसार ( बातों बातों में /हरियाणा डेस्क ) देश के पांच राज्यों में हो रहे चुनावों में नए कोरेना वेरिएंट को रोकने के लिए चुनाव आयोग को रैलियों पर तुरंत प्रभाव से रोक लगाकर एक उदाहरण प्रस्तुत करना चाहिए ,कोई पार्टी का प्रत्याशी अपने धन बलि या सत्ता बल सेअखबार टीवी में विज्ञापन देकर चुनाव को प्रभावित न कर सके ,इसलिए विज्ञापन तथा चुनावी सर्वेक्षण पर भी रोक लगानी चाहिए ,न्याय पक्ष के अध्यक्ष रणदीप लोहचाब ने आज जारी अपने बयान में यह बात कही ,उन्होंने आगे कहा कि संसद में एक स्थाई कानून बनाकर चुनाव से 6 महीने पहले तथा चुनाव के दौरान ऐसा किए जाने की व्यवस्था बनाना जरूरी है ,ताकि कोई गरीब से गरीब व्यक्ति साडे 4 वर्ष जनता के बीच रहकर अपने सीमित संसाधनों से निरंतर जन संपर्क करके अपने आचरण -व्यवहार -मेहनत से लोगों में लोकप्रियता के बल पर अमीर से अमीर व्यक्ति को पराजित कर जनता का वास्तविक प्रतिनिधि बन सके, यही एकमात्र उपाय चुनाव में पारदर्शिता न्याय ला सकता है,
रणदीप लोहचब ने आगे कहा कि वर्तमान परिस्थिति में करोना महामारी से बचने के साथ-साथ यह चुनाव सुधार का एक नया प्रयोग कर चुनाव आयोग उदाहरण प्रस्तुत कर सकता है आज सड़क पर जा रहे उस व्यक्ति का पुलिस चालान काट रही है जो अकेला अपने वाहन में बिना किसी मास्क के होता है परंतु देश के प्रधानमंत्री-मुख्यमंत्री विशाल जनसभाओं को संबोधित करते हैं जहां कोई मास्क नहीं पहनता है , वहां न तो सत्ताधारी कुछ बोलते हैं ,न ही वहां खड़ी पुलिस कुछ करती है, क्या यह न्याय है? जनता सब जानते समझते हुए मजबूर हैं -आहत हैं, अन्याय सहन कर रही है, इसलिए चुनाव आयोग अपने अधिकार का प्रयोग करके रैली पर रोक लगाकर एक उदाहरण प्रस्तुत कर सकता है , ऐसा होने के उपरांत कोई धनी व्यक्ति सत्ताधारी दल चुनाव में अपनी धन शक्ति या सत्ता बल के सहारे अखबार टीवी चैनल का दुरुपयोग न कर सके, इसलिए आज से चुनाव संपन्न होने तक विज्ञापन व चुनाव सर्वेक्षण पर भी एक साथ रोक लगाया जाना जरूरी है, वर्चुअल रैली या चुनाव के दौरान प्रचार के लिए केवल दूरदर्शन राष्ट्रीय चैनल पर सबको समान अवसर दिया जाना जरूरी हो, ऐसा सुनिश्चित किया जाए कि कोई निजी चैनल किसी दल या व्यक्ति के लिए उसकी अतिरिक्त सहायता न कर सके/