24.2 C
Kurukshetra
Thursday, September 19, 2024
No menu items!
spot_img

हरियाणवी आभूषणों को बाजार में उतारने की तैयारी

कुरुक्षेत्र ( बातों बातों में /हरियाणा डेस्क ) अंतर्राष्ट्रीय गीता जयंती के अवसर पर विरासत हेरिटेज विलेज जी.टी. रोड मसाना में आयोजित राज्यस्तरीय हरियाणा हस्तशिल्प हुनर कार्यशाला एवं हरियाणा सांस्कृतिक प्रदर्शनी में प्रदेश भर से पहुंची हरियाणवी महिला हस्तशिल्पकारों को आभूषण निर्माण के लिए प्रशिक्षित किया गया। आभूषण बनाते समय हरियाणवी मोटिफ के सुनारों द्वारा प्रयोग किए जाने वाले पुराने ठप्पों से उठाकर इंप्रेशन डालने का आग्रह किया गया ताकि बाजार की मांग के अनुसार हस्तशिल्पकार अपने उत्पाद तैयार कर सकें। उल्लेखनीय है कि लोकजीवन में कंठी, गलसरी, बुजनी, कड़ी, छडक़ले, न्यौरी, पात्ती-तात्ती, बोरला, कडूले, मंगलसूत्र, झुमकी, टीका, गले का हार, पैंडल, बाजूबन्द, कड़े ऐसे पारम्परिक आभूषण हैं जिन्हें बाजार में उतारा जा सकता है।
इस दृष्टि से भिवानी, हिसार, नूंह, करनाल, सोनीपत तथा फरीदाबाद से पहुंची महिलाओं ने आभूषण बनाने की कला के विषय में अनेक तरह से जानकारी हासिल कर हरियाणा के लोक प्रचलित आभूषणों को फिर से पुनर्जीवित करने का संकल्प लिया। इस अवसर पर कुरुक्षेत्र विवि के ललित कला विभाग से विरासत हेरिटेज विलेज में पहुंचे डॉ. गुरचरण ने बताया कि आने वाले दिनों में पारम्परिक हरियाणवी आभूषणों की बाजार में संभावनाएं तलाश की जानी चाहिएं। इन्हें लोक कलात्मक दृष्टि से प्रस्तुत करने का प्रयास किया जाए। डॉ. गुरचरण की बात को आगे बढ़ाते हुए डॉ. रणबीर सिंह ने अपने व्याख्यान में कहा कि हरियाणा के आभूषण सौन्दर्य और अभिकल्प की दृष्टि से हमारे परिवेश की छाप रखते हैं और इन्हें पहनने से शरीर के कुछ खास हिस्सों पर हल्का दबाव बना रहने से न्यूरोमस्कुलर रेसपोन्स कुछ इस तरीके से प्रकट होते हैं जिससे ब्लड़ प्रेशर और हार्ट बीट ठीक रहती है। इस बारे हालांकि क्लीनिकल स्टड़ीज तो सामने नहीं आई हैं लेकिन आयुर्वेदाचार्यों के अनुभव के आधार पर यह महसूस किया गया कि यह प्रभाव एक्यूप्रेशर के समकक्ष है।
बाजार में गुजरात एवं राजस्थान के आभूषण जिस तरह से लोकप्रिय स्थान ग्रहण कर चुके हैं उसी तर्ज पर आने वाले दिनों में हरियाणा के पारम्परिक आभूषणों के पुर्ननिर्माण के बाद इन्हें भी मार्केट में स्थान मिलेगा। डॉ. महासिंह पूनिया ने हस्तशिल्पकारों को हरियाणवी आभूषणों के इतिहास एवं उसकी परम्परा के विषय में विस्तार से जानकारी देते हुए कहा कि पारम्परिक आभूषणों के माध्यम से रोजगारपरक घरेलू उद्योग में अपार संभावनाएं हैं क्योंकि इन आभूषणों के डिजाईन बाजार से अब गायब हो चुके हैं, लेकिन अगर हम इन्हें फिर से लोकप्रिय बनाएं तो हमारी संस्कृति और परिवेश जीवंत बना रहेगा। सोशल मीडिया के माध्यम से ई-ग्रामीण बाजार तथा विविध मीडिया ग्रुप्स के माध्यम से हरियाणा के आभूषणों को देश-विदेश में बेचा जा सकता है। इस मौके पर पारम्परिक हरियाणवी आभूषणों की प्रदर्शनी का आयोजन किया गया। इसमें महिलाओं ने गहन रुचि दिखाई।

Related Articles

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Stay Connected

0FansLike
3,912FollowersFollow
22,000SubscribersSubscribe
- Advertisement -spot_img

Latest Articles