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NDRI मिश्रित मत्स्य-पालन की वैज्ञानिक पद्धति पर प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन

करनाल ( बातों बातों में / हरियाणा डेस्क ) राष्ट्रीय डेरी अनसंधान संस्थान के कृषि विज्ञान केंद्र के द्वारा चार दिवसीय मत्स्य पालन प्रशिक्षण कार्यक्रम “ मिश्रित मत्स्य-पालन की वैज्ञानिक पद्धति ” का आयोजन दिनांक 15 नवंबर से 18 नवंबर तक किया गया। इस कार्यक्रम में जिला करनाल के 38 किसानों एवं ग्रामीण युवाओं में भाग लिया जिसमें 4 महिलाएं भी शामिल रही। कार्यक्रम के आयोजन में किसानों को मत्स्य पालन की वैज्ञानिक पद्धति से अवगत कराया गया । संस्थान के निदेशक डॉ मनमोहन सिंह चौहान ने बताया कि राष्ट्रीय डेरी अनुसंधान संस्थान भारत सरकार के निर्देशानुसार किसानों की आय बढ़ाने के प्रयासों के अंतर्गत लगातार प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित करके सहयोग दे रहा है किसानों को विभिन्न प्रकार के वैकल्पिक कृषि कार्यों का प्रशिक्षण लेने के उपरांत कार्य आरंभ करना चाहिए जिसमें बकरी पालन, मधुमक्खी पालन, मछली पालन, केंचुआ खाद का निर्माण आदि कार्य है जो आय बढ़ाने में एक महत्वपूर्ण रोल अदा कर सकते हैं । कृषि विज्ञान केंद्र के अध्यक्ष डॉ पंकज कुमार सारस्वत ने बताया कि कृषि विज्ञान केंद्र लगातार इन सभी वैकल्पिक कृषि कार्यों के लिए प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित कर रहा है इस प्रकार के कार्यक्रम से किसानों में कृषि की नई विधाओं के बारे में जागरूकता के साथ-साथ स्किल डेवलपमेंट का कार्य भी बढ़ता है। केंद्र के विषय विशेषज्ञ डॉ राकेश कुमार टोंक ने बताया की वैज्ञानिक पद्धति के आधार पर मत्स्य पालन करने से मत्स्य उत्पादन ज्यादा होता है और मछलियों में आने वाली बीमारियों का निराकरण भी इसी पद्धति में निहित है मत्स्य पालन तालाब में मछलियों का संचय, मछलियों की फीडिंग कराने का तरीका, मछलियों में बीमारियों के लक्षण आदि विषयों को प्रशिक्षण कार्यक्रम मे अधिक महत्व दिया गया। डॉ राकेश कुमार टोंक ने बताया कि वैज्ञानिक विधियां अपनाने से मत्स्य पालन में मछलियों के अंदर होने वाली मृत्यु दर को काफी हद तक कम किया जा सकता है जिसके अंतर्गत 1 एकड़ के तालाब से मिश्रित मत्स्य पालन के द्वारा 40 से 45 कुंटल मछली का उत्पादन प्रतिवर्ष किया जा सकता है प्रशिक्षण कार्यक्रम के अंतर्गत बताया गया कि प्रति माह के हिसाब से तालाब में गोबर चूने और लाल दवा का प्रयोग करने से तालाब मे मछली का प्राकृतिक भोजन बनता रह्ता है और तालाब का पानी की गुण्वत्ता भी बनी रहती है इसके प्रयोग से मछलियों में उत्पन्न होने वाली बीमारियां के रोकथाम मे सहायता मिलती है । केंद्र के तक्निकी सहायक मि. अरुण कुमार ने मछलियों में होने वाली बीमारियों के बारे में प्रशिक्षणार्थियो को विस्तार पूर्वक बताया । इस प्रशिक्षण कार्यक्रम के अंतर्गत प्रशिक्षणार्थियों को ग्राम कमालपुर रोड़ान ब्लॉक इंद्री के प्रगतिशील किसान सुशील कुमार की हैचरी एवं मत्स्य पालन तालाब का भ्रमण भी कराया गया। प्रशिक्षणार्थियों ने सुशील कुमार के साथ मत्स्य पालन के कार्य में आने वाली अड़चनों और मत्स्य पालन के उत्पादों की मार्केटिंग के बारे में चर्चा की। इस कार्यक्रम के अंत में प्रशिक्षणार्थियों को प्रमाण पत्र वितरित किए गए।

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