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ब्रह्मसरोवर की पवित्रता किसी भी कीमत पर भंग नही होने दी जाएगी : अशोक अरोड़ा

कुरुक्षेत्र ( बातों बातों में / हरियाणा डेस्क ) हरियाणा के पूर्व मंत्री एवं थानेसर से 4 बार विधायक रह चुके वरिष्ठ कांग्रेसी नेता अशोक अरोड़ा ने कुरुक्षेत्र विकास बोर्ड और पर्यटन विभाग द्वारा पवित्र ब्रह्मसरोवर में प्रस्तावित नौकाविहार योजना की कड़ी निंदा करते हुए इसे धर्मविरोधी बताया है। उन्होने महामहिम राज्यपाल एवं कुरुक्षेत्र विकास विकास बोर्ड के चेयरमैन बंडारू दत्तात्रेय से अपील की है कि वे इस परियोजना को सिरे से खारिज करें ताकि तीर्थ की मर्यादा भंग होने से बच सके। अरोड़ा अपने निवास स्थान पर पत्रकारों से वार्तालाप कर रहे थे। इस अवसर पर प्रदेश कांग्रेस के संगठन सचिव सुभाष पाली, सतीश कुमार और राजपाल भी उपस्थित थे।
पूर्व मंत्री ने कहा कि कुरुक्षेत्र एक धार्मिक स्थल है यहां पर श्रद्धालु धार्मिक भावना लेकर यात्रा करने आते हैं। इसलिए कुरुक्षेत्र का विकास धार्मिक दृष्टि से तीर्थाटन के रूप में होना चाहिए। पवित्र ब्रह्मसरोवर में नौकाविहार शुरु किए जाने से करोड़ों हिंदुओं व धर्म प्रेमियों की आस्था को ठेस पहुंचने के साथ-साथ पवित्र सरोवर की मर्यादा भी भंग होगी। उन्होने कहा कि नौकाविहार योजना रद्द करवाने के लिए श्री ब्राह्मण एवं तीर्थाेद्धार सभा जिस प्रकार का भी आंदोलन चलाएगी, वे व्यक्तिगत रूप से तथा पार्टी के स्तर पर तन-मन-धन से सभा का सहयोग करेंगें। उन्होने नगर की अन्य धार्मिक एवं सामाजिक संस्थाओं से अपील की है कि वे इस ब्रह्मसरोवर की मर्यादा को बचाने के लिए आगे आएं। कुरुक्षेत्र की अपनी एक पहचान है और ब्रह्मसरोवर आदि काल से बना हुआ है जिसमें लोग आस्था लेकर स्नान करने आते हैं और इसके जल का आचमन करते हैं। कुरुक्षेत्र का विकास धार्मिक दृष्टि से ही किया जाना चाहिए लेकिन दुर्भाग्यपूर्ण है कि बोर्ड में बैठे कुछ लोग, जिन्हे सनातन धर्म की धार्मिक परंपराओं व मान्यताओं का कोई ज्ञान नही है, इस धर्मस्थली को गोआ की भांति पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करने का दु:साहस कर रहे हैं जिसे किसी भी सूरत में बर्दाश्त नही किया जाएगा और कुरुक्षेत्र तीर्थ की मर्यादा को भंग नही होने दिया जाएगा। कुरुक्षेत्र विकास बोर्ड के संस्थापक चेयरमैन एवं पूर्व प्रधानमंत्री स्व. गुलजारी लाल नंदा ने कुरुक्षेत्र का विकास तीर्थ स्थली के रूप में करने का सपना संजोया था लेकिन आज कुछ लोग नंदा जी के सपने को तार-तार करके इस पवित्र स्थल की मर्यादा भंग करने पर तुले हुए हैं। कुरुक्षेत्र के विकास में नंदा जी के योगदान को किसी भी कीमत पर भुलाया नही जा सकता।
अरोड़ा ने कहा कि पर्यटकों को लुभाने के लिए नौकाविहार की बजाए अन्य योजनाएं भी बनाई जा सकती हैं। उन्होने बताया कि 2013 में उन्होने राज्यपाल की अध्यक्षता में आयोजित कुरुक्षेत्र विकास बोर्ड की बैठक में ब्रह्मसरोवर और सलारपुर रोड़ के बीच में केडीबी की पड़ी खाली भूमि पर एक आधुनिक सुविधाओं से सुसज्जित कमर्शियल पार्क बनाने का प्रस्ताव रखा था। जिस पर तत्कालीन मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने शहरी निकाय विभाग हरियाणा के तत्कालीन आयुक्त रघुविंद्र राव को जगह पहचान करने के आदेश दिए थे। रघुविंद्र राव ने कुरुक्षेत्र का दौरा कर तीन जगहों की पहचान की थी लेकिन 2014 में सरकार बदलते ही यह फाईल ठंडे बस्ते में डाल दी गई। उन्होने कहा कि यदि पर्यटकों को आकर्षित करने के लिए कोई स्थान बनाना है तो केडीबी को यह कमर्शियल पार्क बनाने वाली फाईल दोबारा से चालू करनी चाहिए। ब्रह्मसरोवर में नौकाविहार शुरु करने से गंदगी फैलने के साथ साथ तीर्थ की मर्यादा भंग होगी जिसे किसी भी कीमत पर बर्दाश्त नही किया जाएगा। उन्होने महामहिम राज्यपाल से पुरजोर अपील करते हुए इस धर्म विरोधी नौकाविहार परियोजना को सिरे से खारिज करने की मांग की है।

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