कुरुक्षेत्र ( बातों बातों में / हरियाणा डेस्क ) हरियाणा के पूर्व मंत्री एवं वरिष्ठ कांग्रेसी नेता अशोक अरोड़ा ने कहा कि थानेसर शहर की सड़कों की खस्ता हालत है। 2015 में जिस पिपली से कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय थर्ड गेट सड़क की मंजूरी मिली थी वह आज तक भी बनकर तैयार नही हुई। स्थानीय विधायक सुभाष सुधा अपनी पीठ स्वयं थपथपाने का काम कर रहे हैं और अधिकारियों को फटकार लगाने की आड में मीडिय़ा की सुर्खियों में बना रहना चाहते हैं।
अशोक अरोड़ा अपने निवास स्थान पर पत्रकारों से वार्तालाप कर रहे थे। इस अवसर पर रणबीर बूरा, चंद्रभान वाल्मिकी, सतबीर घराड़सी और राजेश गोयल भी उपस्थित थे।
अरोड़ा ने कहा कि पहले तो कुरुक्षेत्र को पिंक सिटी बनाने का दावा किया गया लेकिन हालात यह है कि आज कुरुक्षेत्र धूल और गर्दे का शहर बनकर रह गया है। सड़कों की इतनी खस्ता हालत है कि शहर की ऐसी कोई सड़क नही जो चलने लायक हो। सलारपुर रोड़ पर नाला बनाया गया था लेकिन सड़क आज भी बुरी हालत में है। इसी प्रकार सेक्टर 2, 3, 4, 29, 30, पलवल रोड़ व अन्य सड़कों की हालत बद से बदतर है। 6 साल पहले शुरु की गई पिपली-कुरुक्षेत्र सड़क अब जनता के लिए जी का जंजाल बन चुकी है। अधूरी सड़क होने के कारण लोगों का काम धंधा ठप्प हो गया है। अनेक लोग दुर्घटनाग्रस्त होकर चोटिल हो चुके हैं और अनेक अकाल मृत्यु को प्राप्त हो चुके हैं।
नगर परिषद में फैले व्यापक भ्रष्टाचार की चर्चा करते हुए अरोड़ा ने कहा कि जिस नगर परिषद पर पिछले 20 वर्षांे से सुधा परिवार काबिज है वहां भ्रष्टाचार जोरों पर है। बिना रिश्वत के परिषद में कोई काम नही होता। अब तो भाजपा की सत्ता में सहयोगी जजपा के नेता भी नगर परिषद में भ्रष्टाचार के खुलेआम आरोप लगा रहे हैं। शहर में गंदगी की भरमार है, जबकि लोगों से प्रतिमाह कूडा कर्कट उठाने की एवज में पैसे वसूले जाते हैं। जल निकासी का बुरा हाल है। सिवरेज सिस्टम ठप्प पडा है। बरसात के दिनों में लोगों के घरों और दुकानों में पानी तक भर आया था। सत्ता पक्ष के लोग कुरुक्षेत्र को विश्व के मानचित्र पर लाने का दावा कर रहे हैं जबकि वास्तविकता इससे कोसों दूर है। उन्होने कहा कि नगर परिषद में फैले भ्रष्टाचार की किसी निष्पक्ष एजेंसी से गहरी जांच करवाई जाए तो बहुत बड़ा घोटाला उजागर होगा। एन.डी.सी. के नाम पर नगर परिषद में लोग धक्के खाते घुमते हैं। वहां पर प्राईवेट लोग दलाली कर रहे हैं जो इन दलालों के हत्थे चढ जाता है उसका काम हो जाता है वरना लोग धक्के खाते घुमते रहते हैं।