सुप्रसिद्ध भारतीय इतिहासकार प्रोफेसर केसी यादव की स्मृति में उनके 85 वें जन्मदिन के अवसर पर 11 अक्टूबर को राजकीय महाविद्यालय, बिरोहड़, झज्जर और श्री कृष्ण राजकीय महाविद्यालय, कंवाली, रेवाड़ी के इतिहास विभाग के संयुक्त तत्वाधान में आजादी के अमृत महोत्सव के अन्तर्गत राष्ट्रीय सेमिनार में प्रथम प्रोफेसर केसी यादव मेमोरियल लेक्चर आयोजित किया गया।
इस कार्यक्रम के संयोजक और इतिहास विभागाध्यक्ष डॉ. अमरदीप ने बताया कि प्रोफेसर के सी यादव के व्यक्तित्व और कृतित्व की स्मृति में यह पहला मेमोरियल लेक्चर आयोजित किया गया| डॉ. अमरदीप ने कहा कि प्रोफेसर यादव ने इतिहास में नये आयाम स्थापित किये| हरियाणा का वास्तविक इतिहास लिखने का श्रेय इन्हें ही जाता है| प्रोफेसर के सी यादव का जन्म 11 अक्टूबर 1936 को वर्तमान रेवाड़ी जिले के नाहड़ ग्राम के एक साधारण किसान परिवार में हुआ और उन्होंने अपनी कड़ी मेहनत से भारत के प्रसिद्ध इतिहासकारों में अपना स्थान बनाया। उन्होंने तीन दर्जन से ज्यादा पुस्तकें लिखीं और देश-विदेश में सैकड़ों शोध पत्र प्रकाशित किए। इस कार्यक्रम के गेस्ट ऑफ़ ऑनर के रूप में दिवंगत प्रोफेसर के सी यादव की पत्नी श्रीमती शशि प्रिया यादव उपस्थित रहीं और उन्होंने बताया कि प्रोफेसर के सी यादव ने मूलतः कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय को अपना कर्म क्षेत्र बनाकर विश्व के टोक्यो, टेक्सास जैसे विश्वविद्यालयों एवं रॉयल एशियाटिक सोसाइटी ऑफ़ ग्रेट ब्रिटेन शोध संस्थानों इत्यादि से भी जुड़े रहे। विगत 27 मई, 2021 को 85 वर्ष की आयु में उनका स्वर्गवास हुआ ।
कार्यक्रम के मुख्य वक्ता बनारस हिंदू विश्वविद्यालय, वाराणसी से इतिहास विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ आशुतोष कुमार रहे| डॉ. आशुतोष ने अपने वक्तव्य में कहा कि प्रोफेसर यादव पहले इतिहासकार थे जिन्होंने स्थापित किया कि 1857 की क्रांति मेरठ से नही बल्कि अम्बाला से शुरू हुई थी| प्रथम विश्व युद्ध में हरियाणा के सैनिकों के योगदान पर प्रोफेसर यादव ने एक गहन अध्ययन प्रस्तुत किया था और उनकी शोध शैली को आगे बढ़ाकर हम उत्तर प्रदेश के सैनिकों के योगदान पर अभी कार्य कर रहे है| प्रोफेसर कुमार ने बताया कि इस प्रथम विश्व युद्ध के सेनिकों से हरियाणा की संस्कृति में अनेक क्रमागत परिवर्तन आये जैसे चाय, कुर्सी, पेंट शर्ट इत्यादि| इसके साथ साथ उन्होंने शिक्षा विशेषतय महिला शिक्षा के प्रचार-प्रसार पर जोर दिया| अध्यक्षीय संबोधन प्रोफ़ेसर केसी यादव के प्रथम पी एच डी विद्यार्थियों में शामिल रहे डॉ. यु वी सिंह, सेवानिवृत्त एसोसिएट प्रोफेसर, एस डी ,कॉलेज ,अंबाला ने प्रस्तुत किया| उन्होंने कहा कि प्रोफेसर यादव शोध के लिए समर्पित थे और शुरुआत से ही उनका हर विद्यार्थी के साथ अटूट लगाव बना रहता था| इस कार्यक्रम में देश-विदेश से प्रोफेसर केसी यादव के साथी, शोध विद्यार्थी, इतिहास विषय के प्रोफेसर एवं प्राध्यापकों के अलावा अन्य क्षेत्रों से जुड़े हुए सैकड़ों विद्वानों ने भाग लिया और संक्षेप में अपने विचार प्रस्तुत किए। विशेष रुप से वरिष्ठ आईएएस डॉ. जे.के. आभीर, प्रोफेसर जगदीश यादव, प्रोफेसर रामेश्वर, डिप्टी डायरेक्टर डॉ. नरेंद्र यादव, डॉ. जगदीश यादव, डॉ. जितेंद्र, सवीन, डॉ. सुरेन्द्र सिंह, अनिल यादव, गुजरात से प्रोफेसर विक्रम अमरावत, मुंबई से प्रोफेसर अजय लोखंडे आदि शामिल रहे| कार्यक्रम के संरक्षक श्री राजकुमार वर्मा, प्राचार्य, राजकीय महाविद्यालय बिरोहड़ एवं डॉ. सुधीर यादव, प्राचार्य, श्री कृष्ण राजकीय महाविद्यालय , कवाली ,जिला रेवाड़ी, ने प्रोफेसर केसी यादव की स्मृति में आयोजित इस व्याख्यान श्रृंखला के प्रारंभ करने के लिए संयोजक डॉ अमरदीप एवं समन्वयक डॉ कर्मवीर एवं उनके सभी साथियों का आभार प्रकट किया।
कार्यक्रम के अंत में समन्वयक डॉ कर्मवीर सिंह ने सभी अतिथियों, मुख्य वक्ता और कार्यक्रम से जुड़े सभी विद्वानों का आभार जताया और इस तरह के स्मृति व्याख्यान कार्यक्रम प्रोफेसर केसी यादव के इतिहास लेखन एवं शोध के क्षेत्र में किए गए उनके अथक कार्य एवं लेखन को सच्ची श्रद्धांजलि बताया। डॉ. कर्मवीर के अनुसार इस तरह के कार्यक्रम इतिहास के वर्तमान और भावी विद्यार्थियों के लिए न केवल मार्गदर्शन बल्कि प्रेरणा का कार्य भी करेंगे ।