कुरुक्षेत्र ( बातों बातों में /हरियाणा डेस्क ) गुजरात के राज्यपाल एवं गुरुकुल कुरुक्षेत्र के संरक्षक आचार्य देवव्रत के कम लागत प्राकृतिक कृषि मॉडल से प्रभावित होकर व प्राकृतिक कृषि के वास्तविक स्वरूप को देखने के लिए आज गुजरात के तीन कृषि विश्वविद्यालयों के कुलपति गुरुकुल कुरुक्षेत्र के दौरे पर पहुंचे। गुरुकुल में पहुंचने पर प्रधान कुलवन्त सैनी जी ने नवसारी एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी के कुलपति डॉ. जेड. पी. पटेल, आनन्द एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी के कुलपति डॉ. के. बी. कथीरिया और दांतीवाड़ा एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी के कुलपति डॉ. आर. एम. चौहान का जोरदार स्वागत किया। इस अवसर पर ओएसडी टू गर्वनर डॉ. राजेन्द्र विद्यालंकार, गुरुकुल के निदेशक व प्राचार्य कर्नल अरुण दत्ता, सह प्राचार्य शमशेर सिंह, वरिष्ठ कृषि वैज्ञानिक डॉ. हरिओम, राधाकिशन आर्य भी मौजूद रहे। प्रधान कुलवन्त सैनी ने आए हुए तीनों अतिथियों को गुरुकुल की अत्याधुनिक गोशाला, प्राकृतिक कृषि फार्म, नर्सरी सहित आर्ष महाविद्यालय, शूटिंग रेंज, एन.डी.ए. विंग, प्राकृतिक चिकित्सालय आदि गुरुकुल के विभिन्न प्रकल्पों का दौरा करवाया और संबंधित जानकारी दी।
गुरुकुल की गोशाला में देशी गायों के स्वास्थ्य और दूध की क्षमता को देखकर सभी अतिथि हैरान रह गये। उन्होंने गोमाता को दी जाने वाली डाइट और उनके रख-रखाव को लेकर विस्तृत जानकारी ली। प्रधान कुलवन्त सैनी ने उन्हें बताया कि गुरुकुल में आचार्य देवव्रत जी ने मात्र तीन गायों से इस गोशाला की शुरुआत की थी जिसमें अब लगभग 300 गाय हैं। यहाँ की देशी गाय प्रतिदिन लगभग 24 लीटर दूध देती है। इसके बाद सभी अतिथि गुरुकुल के प्राकृतिक कृषि फार्म पहुंचे। फार्म पर धान और गन्ने की उन्नत फसल ने अतिथियों को बहुत प्रभावित किया। सह प्राचार्य शमशेर सिंह ने बताया कि गुरुकुल के फार्म पर धान में बहुत कम पानी का उपयोग किया जाता है। आमतौर पर किसान धान की फसल में पानी खड़ा रखते हैं मगर गुरुकुल के फार्म पर धान की फसल में भी अन्य फसलों की तरह ही पानी दिया जाता है। इसी प्रकार फार्म पर प्राकृतिक गन्ने की ऊंचाई से भी यूनिवर्सिटी के कुलपति महोदय बहुत प्रभावित हुए, उन्हें जब यह पता लगा कि गन्ने की फसल, एक बार लगाने के बाद चार-पांच साल तक पैदावार देती है तो उन्होंने इस मॉडल को अपनाने का संकल्प लिया। फार्म पर अखरोट, अमरूद, सेब, लीची, बेर के बाग का भी अतिथियों ने अवलोकन किया।
गुरुकुल के दौरे के बाद तीनों विश्वविद्यालयों के कुलपति आचार्य देवव्रत जी के प्राकृतिक कृषि मॉडल से संतुष्ट नजर आए। उन्होंने कहा कि राज्यपाल आचार्य देवव्रत जी की कथनी और करनी एक है। वो जैसा कहते है, गुरुकुल में उससे भी बढ़कर पाया है। आचार्य देवव्रत जी के प्राकृतिक कृषि मॉडल को अपनाकर किसान न केवल अपनी आय दोगुनी कर सकते हैं, बल्कि इससे भूमि की उर्वरा शक्ति बढ़ेगी, पानी की खपत कम होगी, मित्रजीवों को जीवन मिलेगा, लोगों को शुद्ध व सात्विक भोजन उपलब्ध होगा और सबसे अहम बात यह है कि इससे देशी गाय का संरक्षण होगा। किसान फिर से देशी गाय पालेंगे क्योंकि प्राकृतिक कृषि में देशी गाय का गोबर और गोमूत्र सबसे महत्त्वपूर्ण घटक हैं। अन्त में प्रधान कुलवन्त सैनी ने सभी अतिथियों को उपहार व स्मृति-चिन्ह भेंट कर सम्मानित किया।