ममता भटनागर/कुरूक्षेत्र
विश्व हृदय दिवस प्रत्येक वर्ष 29 सितम्बर’ को मनाया जाता है। अव्यवस्थित जीवन शैल़ी और असंतुलित खानपान के चलते दुनिया भर में हृदय रोग के पीडितों की संख्या तेज़ी से बढ़ी है। भागत़ी-दौ़डत़ी जिंदग़ी में लोगों को अपने स्वास्थ्य की ओर ध्यान देने का मौका नहीं मिलता, जिसका उन्हें भाऱी खामयाजा चुकाना पड़ता है। हृदय रोग विशेषज्ञों के अनुसार दिल की ब़ीमाऱी किस़ी भ़ी उम्र में किस़ी को भ़ी हो सकत़ी है, इसके लिए कोई निर्धारित उम्र नहीं होत़ी। महिलाओं में हृदय रोग की संभावनाएं ज्यादा होत़ी हैं, बावजूद इसके कि इसके वे ब़ीमाऱी के जोखिमों को नजर अंदाज कर देत़ी हैं। आज की भागदौ़ड भऱी जिंदग़ी में एक दिल ह़ी है, जिस पर सबसे अधिक बोझ पड़ता है। तनाव, थकान, प्रदूषण आवद कई वजहों से रक्त का आदान-प्रदान करने वाले इस अति महत्वपूर्ण अंग को अपना काम करने में मुश्किल होती है, इसलिए ’विश्व हृदय दिवस’ लोगों में यह भावना जागृत करता है कि हृदय की बीमारियों के प्रति सचेत रहें।