करनाल ( बातों बातों में / हरियाणा डेस्क ) सफसल प्रजाति विमोचन, स्वच्छ हरित परिसर पुरस्कार एवं संस्थान उद्घाटन के अवसर पर कृषक वैज्ञानिक अंतर फलक बैठक का आयोजन कृषि विज्ञान केंद्र, राष्ट्रीय डेरी अनुसंधान संस्थान करनाल के सभागार में माननीय निदेशक महोदय डॉ मनमोहन सिह चौहान के मार्गदर्शन में आयोजित किया गया ।
कार्यक्रम संचालन करते हुए डा. पंकज कुमार सारस्वत,अध्यक्ष, कृषि विज्ञान केंद्र ने बताया कि भुमि मे जल स्तर के लगातार गिराव को ध्यान मे रखते हुए कृषको को कम पानी के उपयोग से पैदा होने वाली मोटे अनाज की फसलो पर जोर देना चाहिये। कार्यक्रम में करनाल जिले से 152 कृषको, महिला- कृषको, ग्रामिण युवाओ ने भाग लिया। कार्यक्रम में माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी, केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर, राज्य मंत्रियों कैलाश चौधरी और शोभा करंदलाजे एवम भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के महानिदेशक डा त्रिलोचन महापात्रा एव्म अन्य पदाधिकारियों समेत वर्चुअल माध्यम से इस कार्यक्रम में कृषकों से संवाद किया। इस अवसर पर प्रधानमंत्री ने विशेष गुणों वाली जैव सम्वर्धित एवं जलवायु अनुकूल फसलो की 35 प्रजातियों का विमोचन के साथ-साथ राष्ट्रीय जैविक स्ट्रैस प्रबंधन संस्थान रायपुर छत्तीसगढ़ का लोकार्पण भी किया और स्वच्छ भारत हरित परिसर पुरस्कार के अंतर्गत 4 कृषि विश्वविद्यालयों को पुरस्कृत किया।
प्रधानमंत्री ने श्रीनगर दिल्ली गोवा मणिपुर तथा उत्तराखंड के 5 किसानों से संवाद किया। अपने संवाद के दौरान प्रधानमंत्री ने इस बात पर जोर दिया कि कृषि विज्ञान केंद्र की सहायता एवं उनके द्वारा दिए जाने वाले तकनीकी ज्ञान से किसान मिश्रित खेती, जैविक खेती एवं फसलों का मूल्य संवर्धन कर पा रहे हैं। इसके साथ-साथ भारत सरकार की विभिन्न योजनाओं का भी लाभ उठा रहे हैं जैसे कि बीज से बाजार की व्यवस्था, मृदा स्वास्थ्य कार्ड, उन्नत बीज, जैविक खेती, किसान सम्मान निधि इत्यादि जिससे उनकी आय में वृद्धि भी हुई है। प्रधानमंत्री ने इस बात पर विशेष जोर दिया कि साइंस, सरकार और सोसाइटी का गठजोड़ नई ऊंचाइयों को छूने और देश में व्यापक विभिन्न समस्याओं के समाधान के लिए अत्यंत आवश्यक है और हमें बैक टू बेसिक और मार्च टू प्यूचर पर चलने की अत्यंत आवश्यकता है ।
इस कार्यक्रम के मुख्य अतिथि डॉ धीर सिंह, संयुक्त निदेशक राष्ट्रीय डेरी अनुसंधान संस्थान अपने संबोधन के दौरान मोटे अनाजों के सेवन पर अत्यधिक जोड़ दिया एवं तकनीकी तरीके से डेरी संबंधित गतिविधियों को करके लाभ लेने के लिए किसानों को प्रेरित किया । सम्माननीय अतिथि डॉ आशिमा ने जलवायु परिवर्तन एव्म फसल विविधिकरण के बारे में प्रकाश डाला । डॉ अनुराग सक्सेना ने रबी फसलो की जलवायु समुत्थानशील प्रजातिया और पानी के संचय का कृषि मे उपयोग, बागबानी फसलो के उत्पादन पर जोर दिया। कार्यक्रम के संचालन मे डॉ रमेश चंद्रा, डॉ राज कुमार, डॉ नीलम उपाध्याय, डॉ राकेश कुमार टोंक, सतीश कुमार, बलदेव सिंह ने महत्व पूर्ण योगदान दिया।