करनाल ( बातों बातों में / हरियाणा डेस्क ) राष्ट्रीय डेरी अनुसंधान संस्थान ने दिनांक 27.08.2021 को करनाल जिले के पढ़ना गांव में महिला स्वयं सहायता समूह (एसएचजी) के सदस्यों के साथ एक परस्पर संवाद का आयोजन किया । एनडीआरआई के निदेशक डॉ एम एस चौहान ने महिला किसानों को संबोधित करते हुए उन्हें समूह बनाने, सभी सदस्यों से दूध एकत्र करने, उनसे उत्पाद बनाने और उच्च आय प्राप्त करने के लिए एक ब्रांड के नाम के तहत बाजार बनाने और सफल कृषि उद्यमी बनने की सलाह दी। इसके अलावा, उन्होंने कहा कि डेरी गतिविधियों में महिलाओं का महत्वपूर्ण योगदान है, अतः वे निश्चित रूप से आत्मनिर्भरता के सपनों को पूरा करने की दिशा में कार्य कर सकती हैं। उन्होंने कहा कि गांव के परिसर की सफाई उनकी कीमत को बढ़ाता तथा उन्हें मान्यता प्रदान करवाता है। उन्होंने एनडीआरआई की डीएसटी परियोजना टीम जिसमें डॉ के पोन्नुसामी,डॉ लता सबिखी और डॉ. जी एस मीणा शामिल हैं की सराहना की। उनके प्रयास से हरियाणा के करनाल, पानीपत और सोनीपत जिलों के 25 गांवों में 1023 महिलाओं को मूल्य संवर्धन और उद्यमिता पर प्रशिक्षित किया। स्वयं सहायता समूह की दस महिलाओं ने मूल संवर्धन उत्पादों के द्वारा प्रति माह 15000 से 40000 रुपये तक की आय प्राप्त की।
डॉ. पोन्नुसामी ने पढ़ाना गांव के शिव शक्ति स्वयं सहायता समूह के प्रयासों की सराहना की । महिला उद्यमियों ने डेरी उत्पादों के निर्माण के अलावा, आदेश के अनुसार डेरी आधारित टिफिन वस्तुओं की आपूर्ति के लिए एनएच-1 पर स्थित कुछ कारखाने मालिकों के साथ खानपान अनुबंध भी किया है । यह समूह समान उपक्रमों के लिए अनुकरण करने के लिए दूसरों के लिए एक आदर्श के रूप में कार्य करता है ।
डॉ लता सबिखी ने महिला किसानों को प्रोत्साहित किया और कहा कि सभी महिलाएं उत्तम डेरी फार्म प्रबंधन प्रथाओं का पालन करती हैं और दूसरों के लिए प्रेरणा का एक अच्छा स्रोत हो सकती हैं। उन्होंने परिवार और बच्चों के कल्याण में महिलाओं की भूमिका पर बल देते हुए बताया कि किस प्रकार एक सशक्त महिला परिवार के जीवन की गुणवत्ता में जबरदस्त सुधार ला सकती है।
डॉ जी एस मीणा ने दूध के मूल्यवर्धन से अतिरिक्त आय प्राप्त करने के बारे में बताया। अंत में डॉ. चौहान ने महिला स्वयं सहायता समूह को उनकी आय और रोजगार को और बढ़ाने के लिए प्रेरित करने के लिए डीएसटी परियोजना के तहत बर्तन वितरित किए।