करनाल ( बातों बातों में / हरियाणा डेस्क ) कृषि विज्ञान केंद्र, राष्ट्रीय डेरी अनुसंधान संस्थान करनाल, संस्थान के निदेशक डॉक्टर मनमोहन सिंह चौहान के मार्गदर्शन में लगातार कृषि की विभिन्न विधाओं में किसानों के लिए प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित कर रहा है। इसी श्रंखला में चार दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम “मत्स्य पालन: वैज्ञानिक विधि से तालाब प्रबंधन और बीमारियों की रोकथाम” विषय पर दिनांक 23 अगस्त से 26 अगस्त तक आयोजित किया गया। इस प्रशिक्षण कार्यक्रम मे करनाल और आसपास के जिलों से 48 किसानों एव्म ग्रामिण युवाओ ने भाग लिया। प्रशिक्षण कार्यक्रम कोविड-19 के नियमों की अनूपालना के साथ आयोजित किया गया जिसमे सभी किसानों की थर्मल स्क्रीनिंग के साथ सैनिटाइजर का भी प्रबंध किया गया। प्रशिक्षण कार्यक्रम के आयोजन में कृषि विज्ञान केंद्र के अध्यक्ष डॉ पंकज कुमार सारस्वत ने मत्स्य पालको के लिए भारत सरकार द्वारा संचालित प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना के बारे में बताया। इस प्रशिक्षण कार्यक्रम का संचालन केंद्र के विषय विशेषज्ञ, (मत्स्य पालन) डॉ राकेश कुमार टोंक ने किया। डॉ राकेश कुमार टोंक ने प्रशिक्षण कार्यक्रम के दौरान मत्स्य पालन की वैज्ञानिक विधियों के बारे में किसानो को विस्तार से जानकारी दी, जिसमे मछली का बीज संचय करने से पूर्व तालाब का प्रबंधन, बीज संचय करने की वैज्ञानिक विधियां, बीज संचय करने का अनुपात, बीज संचय करने के उपरांत तालाब का प्रबंधन, मछलियों का प्रबंधन एव्म मछलियों का रखरखाव, मछलियों को फीडिंग कराने की तकनीक और मछलियों में प्रेरित प्रजनन प्रक्रिया पर प्रकाश डाला गया। प्रशिक्षण कार्यक्रम के दौरान केंद्र के तकनीकी सहायक अरुण कुमार ने किसानों को मछलियों में होने वाली बीमारियों उनके लक्षण और उनके उपचार के संबंध में जानकारी दी। प्रशिक्षण में किसानों को तकनीकों को प्रयोगात्मक पहलू के आधार पर समझाया गया जिसमें मछली पालन में प्रयुक्त होने वाली मछलियों की पहचान, जाल लगाना, मछलियों को पकड़ना, मछलियों के बीज की आक्सिजन के साथ पैकिंग की तकनीक को किसानो के समक्ष करके दिखाया गया। इस प्रशिक्षण कार्यक्रम के अंतर्गत प्रशिक्षणार्थियों को ग्राम कमालपुर रोड़ान ब्लॉक इंद्री के प्रगतिशील किसान सुशील कुमार की हैचरी एवं मत्स्य पालन तालाब का भ्रमण भी कराया गया। प्रशिक्षणार्थियों ने सुशील कुमार के साथ मत्स्य पालन के कार्य में आने वाली अड़चनों और मत्स्य पालन के उत्पादों की मार्केटिंग के बारे में चर्चा की। इस प्रकार के कार्यक्रम से किसानों में कृषि की नई विधाओं के बारे में जागरूकता के साथ-साथ स्किल डेवलपमेंट का कार्य भी बढ़ता है। इस कार्यक्रम के अंत में प्रशिक्षणार्थियों को प्रमाण पत्र वितरित किए गए।