हिसार ( बातों बातों में / हरियाणा डेस्क ) गत दिवस हरियाणा विधानसभा में मुख्यमंत्री द्वारा मेरिट पर नौकरियां देने की बात पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए न्याय पक्ष के अध्यक्ष रणदीप लोहचाब ने आज जारी अपने बयान में कहा कि गरीबों- किसानों -ग्रामीणों को वह शिक्षा प्राप्त नहीं होती जो अमीरों के बच्चे महंगी फीस देकर कॉन्वेंट प्राइवेट स्कूलों में प्राप्त करते हैं! गरीब के बच्चों को संपूर्ण एवं सर्वांगीण शिक्षा नहीं मिल पाती, जब तक अमीर -गरीब सब के बच्चों को एक समान एक जैसे स्कूलों में बराबर शिक्षा देकर, उन्हें उन्नति के समान अवसर प्रदान नहीं किए जाते तब तक मेरिट की बात करना बेईमानी है ,यह सरासर भेदभाव है! इसकी जिम्मेवारी प्रदेश सरकार की है ! रणदीप लोहचब ने कहा गरीब -ग्रामीण के बच्चे सरकारी स्कूलों में पढ़ते हैं ,इन स्कूलों का स्तर- इन में शिक्षा का स्तर, निगरानी उच्चतम प्राइवेट कान्वेंट स्कूल के समान सरकार कर सकती है, ऐसा होने पर आमजन -गरीब जन को शकुन मिलेगा -राहत मिलेगी न्याय मिलेगा -सम्मान व समानता मिलेगी ,क्योंकि ऐसा होने पर कोई भी व्यक्ति महंगी फीस देकर प्राइवेट स्कूल में अपना बच्चा न पढ़ा कर सरकारी स्कूल में ही पढ़ाएगा! नौकरियों में मेरिट का आधार केवल परीक्षा परिणाम नहीं हो सकता, कोई व्यक्ति क्या है ,उसका आचरण व्यवहार ईमानदारी नैतिकता परोपकार का मूल्यांकन किए बिना केवल निश्चित पाठ्यक्रम की जानकारी रखने वाले को आप नौकरी देकर मेरिट पर नौकरी देने की बात करते हो जो गलत है! उम्मीदवार के संपूर्ण व्यक्तित्व को जानकर परीक्षा के अंकों के साथ साथ उसके अंक प्रदान करने को ही मेरिट कहा जाता है! एक व्यक्ति बेईमान है- करूर है- झूठा है ,परंतु पुलिस रिकॉर्ड में उसका ब्यौरा नहीं है, ऐसा व्यक्ति यदि लिखित परीक्षा पास कर अंकों के आधार पर सरकारी नौकरी पाकर, अपने बुरे आचरण व दुर्व्यवहार के कारण प्रदेश के खजाने को लूटता है ,भ्रष्टाचार फैलाता है जनता से अभद्र व्यवहार करता है ,तो यह कैसी मेरिट है! न्याय पक्ष अध्यक्ष ने आगे कहा की जब तक सरकार प्रदेश के सभी बच्चों को एक समान एक जैसी सर्वांगीण शिक्षा नहीं देती तब तक सरकारी स्कूल में पढ़े हुए बच्चों को नौकरियों की परीक्षा में 10% अतिरिक्त अंक देकर तथा सबको उत्तम आचरण के अंक देकर ही मेरिट बनाए! मुझे यह जानकर भी दुख हुआ कि सरकार पक्ष की इस बात का किसी भी विपक्षी विधायक ने उचित जवाब नहीं दिया!