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जब ओलम्पियन सुरेन्द्र अपने कोच गुरविन्द्र सिंह को पदक दिखाने पहुंचा

कुरुक्षेत्र ( बातों बातों में / हरियाणा डेस्क ) जब ओलम्पियन सुरेन्द्र कुमार पालड ओलम्पिक टोक्यो 2020 में देश के लिए कांस्य पदक जीतने के बाद सीधा भारतीय खेल प्राधिकरण कुरुक्षेत्र के प्रांगण में अपने गुरू गुरविन्द्र सिंह के पांव छूने के लिए पहुंचा। यह ओलम्पियन सुरेन्द्र कुमार उस समय सुर्खियों में आ गया जब मां-बाप से भी पहले देश के लिए जीता मेडल अपने गुरू को दिखाने के लिए साई पहुंचा। साई में पहुंचते ही ओलम्पियन सुरेन्द्र कुमार ने जैसे ही प्रशिक्षक गुरविन्द्र सिंह के पांव छूए तो प्रशिक्षक गुरविन्द्र सिंह की आंखों में खुशी के आंसू झलक उठे। यह क्षण तमाम मीडिया के कैमरों में भी कैद हो गए। इन क्षणों को देखकर हॉकी की युवा पीढ़ी भी प्रेरणा से ओतप्रोत हो गई। 

प्रशिक्षक गुरविन्द्र सिंह के सपनों को साकार करने के उपरांत ओलम्पियन सुरेन्द्र कुमार पालड़ बुधवार को सबसे पहले भारतीय खेल प्राधिकरण कुरुक्षेत्र के प्रांगण में पहुंचा। यहां पहुंचने पर प्रशिक्षक गुरविन्द्र सिंह के पांव छुए और अपना कांस्य पदक दिखाया। प्रशिक्षक गुरविन्द्र सिंह ने शिष्य ओलम्पियन सुरेन्द्र कुमार पालड़ को गले लगाया और कांस्य पदक का चुंबन किया और आशीवार्द दिया कि पेरिस ओलम्पिक 2024 में देश के लिए गोल्ड मेडल जीतकर लौटे। इसके बाद साई के एडीए सुभाष मसानीया, अर्जन आवार्डी डा.दलेल सिंह, डीएसओ बलबीर सिंह, हॉकी कुरुक्ष्ेात्र के प्रधान विकासदीप संधू, सेवानिवृत डीएसओ यशवीर सिंह, कुलदीप सिंह वडैच, सतपाल सिंह, अनीश मलिक, सुधीर दहिया, सुदेश शर्मा, राहुल सांगवान, अजायब सिंह, रामानुज, जंगबहादुर, युवा खिलाडी अमितोज सिंह, सहित अन्य प्रशिक्षकों ने फूल मालाओं से ओलम्पियन सुरेन्द्र कुमार पालड का स्वागत किया। 

प्रशिक्षक गुरविन्द्र सिंह ने सबसे पहले ओलम्पियन सुरेन्द्र कुमार पालड़ को मिठाई खिलाई और बुके देकर सम्मानित किया। उन्होंने कहा कि ओलम्पियन सुरेन्द्र कुमार पालड़ भारतीय खेल प्रधिकरण का खिलाड़ी रहा है और इस संस्थान में ही सुरेन्द्र कुमार ने हॉकी खेलने की शुरूआत की थी और 17 साल की अथक मेहनत के बाद आज ओलम्पिक तक पहुंचकर देश के लिए मेडल जीतकर लाए है। यह साई के साथ-साथ देश के लिए एक गौरव के क्षण है। इस खिलाड़ी से दूसरे युवा खिलाडिय़ों को भी प्रेरणा मिलेगी। इस खिलाड़ी के कारण आज उनका सिर फर्क के साथ ऊंचा हुआ है। इस खिलाड़ी को सरकार की तरफ से जल्द ही अर्जुन आवार्ड से भी सम्मानित किया जाए। यह दूनिया का एकमात्र एक ऐसा खिलाड़ी है जो मिट्टïी में खेलकर ओलम्पिक के मुकाम तक पहुंचा है।

ओलम्पियन सुरेन्द्र कुमार पालड़ ने अपने गुरू का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि इस मुकाम तक पहुंचने का पूरा श्रेय प्रशिक्षक गुरविन्द्र सिंह को जाता है। इसके साथ ही पिता मल्खान सिंह, माता नीलम देवी और भाई नरेन्द्र कुमार काला के योगदान को भी कभी भूल नहीं पाएंगे। इन सभी के सहयोग से आज देश के लिए मेडल जीतकर लाए है। उन्होंने कहा कि यह मेडल देश को समर्पित है और पेरिस ओलम्पिक के लिए अभी से ही तैयारियां शुरू कर दी है। मेडल हासिल करने के अगले दिन ही पेरिस ओलम्पिक की रूप रेखा तैयार कर ली गई है। फिलहाल 6 महीने के बाद कुरुक्षेत्र पहुंचे है और यहां पहुंचने के बाद अपने गुरू को मिलने और आशीवार्द लेने के लिए साई में आए है और अब घर जाकर अपने माता-पिता से मिलुंगा और लड्डïू खाउंगा। 

अर्जुन आवार्डी दलेल सिंह ने कहा कि 41 सालों के बाद देश को हॉकी में कांस्य पदक मिला है। यह एक बहुत बडी उपलब्धि है। इस उपलब्धि में कुरुक्षेत्र के सुरेन्द्र कुमार का अहम योगदान रहा है। इस खिलाड़ी से युवा खिलाडिय़ों को प्रेरणा मिलेगी। इस मौके पर डीआईपीआरओ डा.नरेन्द्र सिंह, डा.सुशील टाया, नीरज तवर, कृपाल सिंह तवर, जसबीर सिंह वडैच, सुरेन्द्र कुमार, सुधीर दहिया, प्रवीण कुमार, सुदेश शर्मा, राजविन्द्र कौर, तेजा राम सहित आदि उपस्थित थे।

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