तीन कृषि कानूनों को लेकर किसान आंदोलन आठवें दौर की बातचीत भी बेनतीजा रही । शुक्रवार को सरकार और किसान संगठनों के प्रतिनिधियों के बीच आठवें दौर की बातचीत किसी नतीजे पर नहीं पहुंची।जानकारी मिल रही है ,कि नौवें दौर की बातचीत 15 जनवरी को हो सकती है किसान नेताओं ने फिर दो टूक जवाब सामने रखा और कहा कि उनके घर वापसी तभी होगी जब सरकार तीनों कृषि कानूनों को वापस लेगी। किसान आंदोलन के 41 सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल और सरकार के बीच आठवें दौर की बातचीत के बाद सत्ता पक्ष से यह दावे भी निकल कर सामने आ रहे हैं कि देश के कई राज्यों के इन कृषि कानूनों का स्वागत कर रहे हैं। दिल्ली विज्ञान भवन में 40 किसान संगठनों के प्रतिनिधियों के साथ केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र तोमर, रेलवे वाणिज्य खाद्य आपूर्ति मंत्री पीयूष गोयल ,वाणिज्य राज्यमंत्री एवं पंजाब से सांसद सोम प्रकाश किसान प्रतिनिधियों के साथ बातचीत कर रहे थे।
सूत्रों के अनुसार बैठक में एक किसान नेता ने सरकार के प्रतिनिधियों के सामने अपनी बात रखी और कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने विभिन्न आदेशों में कृषि को राज्य का विषय घोषित किया हुआ है। ऐसे में आदर्श कदम यही है कि केंद्र सरकार कृषि के विषय पर हस्तक्षेप ना करें। अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति की कविता कुरुंगती ने बताया कि सरकार ने किसानों से कहा है,कि कानूनों को वापस नहीं ले सकती और ना लेगी। कविता भी आठवें दौर की बातचीत में शामिल थी किसानों ने बैठक के बाद मौन धारण कर लिया और जीतेंगे या मरेंगे लिखे हुए बैनरो को हाथों में उठा लिया।